कोरोना वायरस के कारण देश व प्रदेश में लॉकडाउन व कर्फ्यू लगे आज दस दिन से ज्यादा समय हो गया है और अधिकांश जनता इसका पालन कर अपने घरों में ही सीमित हो गई है। इस लॉकडाउन को जिस तरीके से लागू किया गया है उससे सबसे अधिक गरीब मजदूर, किसान, प्रवासी दिहाड़ीदार व अन्य वंचित वर्ग अत्यधिक प्रभावित हुए हैं। इस लॉकडाउन व कर्फ्यू के चलते एक ओर इन गरीब मजदूरों व किसानों को रोजगार का संकेट पैदा हो गया है और दूसरी ओर सीमित साधनों के कारण इनको रोटी का संकट भी पैदा हो गया है।
आज काफी बड़ी संख्या में देश व प्रदेश में ऐसे प्रवासी मजदूर भी है जो कारखानों, निर्माण, व्यवसायिक व अन्य क्षेत्रों में दिहाड़ी कर अपनी रोजी रोटी अर्जित करते हैं, परन्तु लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण अपने घरों से दूर बिना काम के फंस गए हैं। सरकार ने इनको लेकर कुछ घोषणाएं तो की है परन्तु यह न तो सही रूप में इनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करती है और न ही इन्हें उचित रूप में लागू करने के लिए क़दम उठा रही है। जिससे आज यह गरीब व मजदूर वर्ग बेहद कठिन समय से गुजर रहा है और परेशान हैं।
इसी प्रकार प्रदेश व शिमला शहर में भी हजारों की संख्या में प्रवासी व अन्य मजदूर है जो आज इन परिस्थितियों के कारण अपनी रोजी रोटी नहीं कमा पा रहा है और परेशान हैं। अभी तक प्रदेश सरकार इनको राहत प्रदान करने के लिए कोई भी ठोसराहत पैकेज नही दे पाई है जिससे प्रदेश व शिमला शहर में इनकी परेशानी और भी बढ़ रही है और कई परिवार तो ऐसे हैं जिनको दो जून की रोटी अर्जित करना भी मुश्किल हो गया है। यदि सरकार समय रहते कोई ठोस राहत पैकेज लागू नहीं करती है तो यह मजदूर भूखमरी के कगार पर आ जायेगा।
शिमला शहर में यह भी देखा गया है कि केवल कुछ संस्थाएं प्रशासन के दिशा निर्देशानुसार कुछ राहत कार्य चलाने का कार्य कर रही है। परन्तु हाल ही में इनमें से कुछ संस्थाओं ने प्रशासन द्वारा राहत बांटने के लिए उचित व्यवस्था न करने व कुछ लोगो द्वारा अनावश्यक दखलंदाजी पर सवाल उठाये हैं। जिससे राहत सामग्री का आबंटन सही रूप से नहीं किया जा रहा है और कई जरूरतमंद व गरीब लोग जिन्हें सही मायने में इसकी आवश्यकता है और मिलनी चाहिए उन्हें इससे वंचित रखा जा रहा है और कुछ लोग बार बार लेकर जम्माखोरी कर रहें हैं। सरकार व प्रशासन को इस प्रकार की अनैतिक कार्यों पर तुरन्त रोक लगा कर हर जरूरतमंद व गरीब को उचित राशन व अन्य आवश्यक वस्तुएं उनके घर पर ही उपलब्ध करवाया जाए। हमारा सुझाव है कि सरकार प्रशासन को तुरन्त निर्देश जारी करे कि वार्ड स्तर पर किसी जिम्मेदार अधिकारी की निगरानी में टीम का गठन कर सभी जरूरतमंद व गरीब लोगो की सूची बना कर इनको कम से कम एक माह का राशन व अन्य वस्तुएं उपलब्ध करवाई जाए ताकि इनको कोई परेशानी न उठाना पड़े और यह घरों में ही रहकर लॉकडाउन व कर्फ्यू का पालना करे। राजनैतिक व अन्य अनावश्यक हस्तक्षेप पर तुरन्त रोक लगाई जाए और प्रशासन निष्पक्ष रूप से इस कार्य को स्वयं करे।
इन विकट परिस्थितियों में सरकार का उत्तरदायित्व बनता है कि कोई भी गरीब जरूरतमंद चाहे वह प्रदेश से है या प्रवासी है आज रोटी से वंचित न रहे। कुछ राज्यों ने इसके लिये पुख्ता प्रबंध भी किये है और राहत पैकेज दिए हैं। जिसमें प्रभावित लोगो को उचित मात्रा में राशन व अन्य वस्तुएं घर पर ही उपलब्ध करवाई जा रही है और रोजमर्रा के खर्च के लिये इन गरीबों के खातों में कुछ नकद राशि भी डाली जा रही है। प्रदेश सरकार को भी इन मजदूरों, गरीब किसानों, प्रवासी व अन्य जरूरतमंदों के लिये राहत पैकेज देकर इनको तुरन्त राहत प्रदान की जाए। सरकार इन दिहाड़ीदार मजदूरों व अन्य प्रभावित वर्गों को कम से कम एक माह का राशन व आवश्यक वस्तुएं तुरन्त उपलब्ध करवाए तथा प्रवासी मजदूरों जिनके पास ठहरने की व्यवस्था नहीं है उनकी स्कूल, कॉलेज व अन्य सामुदायिक भवनों में ठहरने व खाने का उच्च प्रबन्ध करे। प्रदेश में बी पी एल व ए पी एल सभी परिवारों को तीन महीने का मुफ्त राशन डिपुओं से तुरन्त वितरित किया जाए। हर गरीब परिवार को चाहे व मजदूर, किसान या प्रवासी है उसके खाते में तुरन्त 5000 रुपये की राशी डाली जाए ताकि वह रोजमर्रा की मूलभूत आवश्यकतायें पूर्ण कर सके। इस संकट की गंभीरता को देखते हुए सरकार को राहत पैकेज तुरन्त देकर इन वंचित वर्गों को राहत प्रदान कर प्रशासन को निष्पक्ष रूप से कार्य करने के आदेश जारी कर इस पर अमल करना चाहिए। आज इस संकट की घड़ी में सरकार जनता को राहत प्रदान कर अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करे।
