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केंद्र व प्रदेश सरकार ने कोरोना वरियर्स जिमसें स्वास्थ्य, पुलिस व अन्य सभी विभागों के कर्मचारी जो कोविड-19 कोरोना महामारी के समय डयूटी पर लगे हैं, का 50 लाख रुपये का जीवन बीमा किया है। मुख्यमंत्री गत दिनों आपने भी शिमला में घोषणा की थी कि इस महामारी से निपटने में लगे समस्त योद्धाओं को 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा और डयूटी के दौरान जान गवाने वाले कर्मचारी के परिवार को 50 लाख रुपये मिलेंगे।
इसमें डाक्टर, पैरा मेडिकल, पुलिस, सफाई कर्मचारी व आंगनबाडी कार्यकर्ता सहित सभी परिवार शामिल है जिनकी कोविड 19 में डयूटी लगी है। हम आपको बताना चाहते हैं इस महामारी में मीडिया के बहुत सारे साथी भी डयूटी पर तैनात हैं और अपनी जिम्मेदारी जान पर खेल कर निभा रहे हैं। पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन में मीडिया के सकारात्मक योगदान की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी के प्रकोप से देशवासियों को बचाने के लिए पीएम के निर्देश पर जारी लॉकडाउन के दौरान डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों की तरह ही मीडिया कर्मी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। पर हमें दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि इस अघोषित युद्ध में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में हिमाचल प्रदेश में मीडिया अपना अहम योगदान निभा रहा है लेकिन उनको बीमा कवर से वंचित कर रखा गया है।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्टस (इंडिया) हिमाचल प्रदेश आपसे मांग करती है कि बीमा का जो 50 लाख का कवर आपने दिया है उसमें हिमाचल प्रदेश के तमाम मान्यता प्राप्त, गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों के साथ जो वैब पोर्टल सरकार के पैनल पर है और जिन्हें इस महामारी के दौरान कवरेज के लिए प्रशासन द्वारा पास जारी किए गए हैं उन सभी पत्रकारों को भी शामिल किया जाए। महाराष्ट्र के मुंबई में 53 पत्रकारों में कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद पूरे देश का मीडिया जगत सकते में है। वहीं हिमाचल के दो पत्रकारों में भी कोरोना के लक्षण पाए गए जो कि पंजाब की डयूटी से लौटै थे। तमिलनाडू में भी कुछ पत्रकार इस संक्रमण के शिकार हुए हैं।
बीमारी या हादसा किसी को बताकर नहीं आता सीएम साहब और अगर आपकी सरकार वास्तव में ही मीडिया जगत की हितैषी है और उसको चौथा स्तंभ मानती है तो तुरंत मीडिया को 50 लाख के बीमे में कवर किया जाए।