नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाने वाला उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय बना एपीजी शिमला विश्वविद्यालय

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाने वाला उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय बना एपीजी शिमला विश्वविद्यालय


शिमला
भारत में स्कूली और उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार एवं आत्मनिर्भर भारत की स्थापना को लेकर सरकार ने 29 जुलाई 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के पश्चात हिमाचल सरकार ने 8 सिंतबर 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर हिमाचल प्रदेश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला भारत का का पहला राज्य बन गया है। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय (अलख प्रकाश गोयल शिमला विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. रमेश कुमार चौधरी ने एक वर्चुअल छात्र ओरिएंटेशन कार्यक्रम के दौरान बताया कि हिमाचल सरकार की अधिसूचना के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लाभों को देखते हुए स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय की ओर से 25 सिंतबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ विषय पर एक वर्चुअल कुलपति-सम्मेलन संबंधी वेबिनार आयोजित करवाया था जिसमें हिमाचल प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा कॉउन्सिल के चेयरमैन एचपीयू के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील गुप्ता और देश के कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व शिक्षाविदों ने नई राष्ट्रीय शिक्षा के पहलुओं पर विस्तार से चर्चा कर नई शिक्षा नीति के हर बिन्दुओं पर प्रकाश डाला था और यह निष्कर्ष निकाला था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायकसिद्ध होंगी। इसी विषय पर महर्षि विश्वविद्यालय की ओर से 17 अक्टूबर को एक और वेबिनार आयोजित करवाया था जिसमें एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति सहित देश के कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया था।कुलपति प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी बिंदुओं पर मंथन करने के पश्चात एपीजी शिमला विश्वविद्यालय ने 20 अक्टूबर 2020 को एक टास्क फोर्स का गठन किया और टास्क फोर्स के सुझाव पर एकेडेमिक् बैंक ऑफ क्रेडिट , अंडर ग्रेजुएट स्तर पर किसी कारणवश असफल होने वाले छात्र को अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा का सुझाव, बहुविकल्पीय अनुसंधान और स्किल आधारित सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स संबंधी प्रावधान के सुझाव दिए थे और उसके पश्चात भारत सरकार शिक्षा सचिव , हिमाचल सरकार और हिमाचल प्रदेश निजी उच्च शिक्षा संस्थान नियामक आयोग को भी इस बारे अवगत करवाया कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति के पहलुओं को शामिल कर दिया है और कुछ फाउंडेशन कोर्सेज व पाठ्यक्रम वर्तमान शैक्षणिक सत्र से शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह उच्च शिक्षा में सुधार व नई शिक्षा नीति का अपनाने वाला एपीजी शिमला विश्वविद्यालय उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। कुलपति चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय में पहले से चलाएमान भारत सरकार व मानव संसाधन मंत्रालय का उन्नत भारत अभियान प्रोजेक्ट्स के तहत नई शिक्षा के पहलुओं को भी जोड़ा जा रहा है ताकि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति से छात्रहित में अपना योगदान दे सकें।यह जानकारी एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी ने सोमवार को दूसरे न्यू-छात्र बैच ओरिएंटेशन व राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताएं और कार्यान्वयन विषय पर आयोजित वर्चुअल कार्यशाला के उद्धघाटन सत्र के दौरान छात्रों व शिक्षकों को संबोधित करते हुए दी। कुलपति चौधरी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाने के लिए प्रदेश में इस नई शिक्षा नीति को तत्काल प्रभाव से लागू करने वाली हिमाचल प्रदेश सरकार के फैसले के बाद एपीजी शिमला विश्वविद्यालय ने एक टास्क फोर्स गठित कर नई शिक्षा नीति के प्रावधानों व निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इसे सफलतापूर्वक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों व कोर्सेज में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से धीरे-धीरे शामिल कर रहे है, वहीं इस दिशा में नए पाठ्यक्रम और कई रोज़गार परक फाउंडेशन पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति चौधरी इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष भी हैं जबकि टास्क फोर्स में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के डीन ऑफ स्टडीज, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर्ज़, शिक्षाविद और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक डीन को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। कुलपति चौधरी ने छात्रों बताया की इस तरह के पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय में पहले से सुचारू रूप से आम प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों के साथ पहले से पढ़ाए जा रहे हैं लेकिन अब इस तरह के नए पाठ्यक्रम व फाउंडेशन कोर्सेज को वर्तमान समय की मांग के अनुसार शामिल किए गए हैं। कुलपति डॉ. रमेश कुमार चौधरी ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को आत्मनिर्भर भारत की इबारत लिखने जा रही है। कुलपति चौधरी ने विश्वविद्यालय सरकार के स्पस्ट एजेंडे और विशष्ट लक्ष्यों के साथ गुणात्मक शिक्षा के साथ आगे बढ़ रहा है। कुलपति रमेश कुमार चौधरी ने इस बात पर बल दिया कि नई शिक्षा नीति एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है और अब कोरी शिक्षा का समय नहीं है बल्कि व्यवहारिक शिक्षा से समाज व राष्ट्र मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में शिक्षको की अहम भूमिका है पर इस दिशा में शिक्षकों को भी बेहतर ढंग से तैयार करना होगा। कुलपति चौधरी ने कहा कि आज परंपरागत शिक्षा से हटकर सर्वांगीण विकास में मदद करने वाली शिक्षा की जरूरत है ताकि हर छात्र व नागरिक जॉब क्रिएटर हों न कि जॉब सीकर। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से भारत आत्मनिर्भर तो होगा ही साथ में बेरोजगारी पर भी अकुंश लगेगा। चौधरी ने कहा कि नई शिक्षा नीति को शिक्षा संस्थान बेहतर ढंग से लागू करें तो शुरुआत में ही अच्छे परिणाम सामने आएंगें।

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