नगर निगम शिमला द्वारा पेश बजट जनविरोधी- संजय चौहान

नगर निगम शिमला द्वारा पेश बजट जनविरोधी- संजय चौहान


भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के अनुसार नगर निगम शिमला द्वारा वर्ष 2020-2021 के लिए प्रस्तुत किया गया बजट बीजेपी की जनविरोधी नवउदारवादी नीतियो को ही प्रतिबिम्बित करता है। इसमे शहर की जनता को इस महंगाई के दौर में कोई भी राहत प्रदान नही की गई है। इसके विपरीत जनता पर टैक्स बड़ा कर उनपर और अधिक आर्थिक बोझ लादने का कार्य किया गया है। आगामी वित्त वर्ष में प्रॉपर्टी टैक्स में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और सरकार व नगर निगम की नीति के अनुसार अप्रैल माह से पानी व कूड़े की दरों में भी 10-10 प्रतिशत की वृद्धि की जानी तय है। बजट में नगर निगम के द्वारा अपनी सम्पतियों के किराये में 300 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित है। जिससे जनता पर और अधिक बोझ पड़ेगा। इस बजट में भी बीजेपी की मूलभूत सेवाओं के निजीकरण की नीतियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
जिस प्रकार से पानी वर्तमान नगर निगम ने सरकार के दबाव में कंपनी को सौंप कर जनता पर भारी भरकम बिलों का बोझ लादकर जनता को परेशान करने का कार्य किया गया है अब अन्य सेवाओं को भी निजी हाथों में देने के संकेत इस बजट में स्पष्ट है ।
सरकार की भर्ती पर रोक की नीति के कारण नगर निगम शिमला में आज लगभग 850 से अधिक पद रिक्त पड़े हैं और आज काम के अनुसार 250 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है। परन्तु इस बजट में इन पदों को भरने का कोई भी जिक्र नहीं किया गया है। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि नगर निगम सेवाओं को ठेके पर देने के लिए कार्य कर इनके निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है। इससे जनता पर और अधिक आर्थिक पड़ेगा।
इस बजट में नगर निगम जनता को कोई भी नई योजना देने में असमर्थ रहा है। केवल मात्र पूर्व नगर निगम द्वारा वर्ष 2017 -2018 में प्रस्तावित कार्यो का ही व्याख्यान किया गया है। पूर्व नगर निगम द्वारा आरम्भ किये गए स्मार्ट सिटी, अम्रुत व अन्य परियोजनाओं से ही इसमे विकास की दिशा को दर्शाया गया है। इनमें भी नगर निगम कई योजनाओं के पूर्ण होने पर भी इनका उपयोग नहीं कर पाई है। जिससे नगर निगम की आय में करोड़ो रूपये की हानि केवल नगर निगम के लचर व्यवस्था से हुई है। इसका ज्वलंत उदाहरण टूटीकंडी क्रासिंग में बहुउद्देश्यीय पार्किंग कॉम्प्लेक्स व रोपवे है जिससे करोड़ो रूपये की आय नगर निगम को सुनिश्चित थी। नगर निगम ग्रीन फीस को भी लागू नहीं कर पाया है और शहर में पार्किंग में भ्र्ष्टाचार के कारण भी नगर निगम की आय में गिरावट आई है। वर्तमान नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स, सम्पतियों का किराया व अन्य आय के स्रोतों का प्रबंधन भी उचित रूप से न कर पाने से भी आय में गिरावट आई है। वर्ष 2017-18 की तुलना में इनके एकत्रीकरण में गिरावट आई है।
वर्तमान बीजेपी शासित नगर निगम के द्वारा हर वर्ष बजट में निरंतर कटौती की जा रही है। पूर्व नगर निगम के द्वारा वर्ष 2017-18 के बजट में 40167.27 लाख रुपए की आय व 35713.77 लाख रुपये के व्यय का बजट प्रस्तुत किया था जो वर्ष 2020-2021 में 22554.72 लाख रुपए की आय व 22535.62 लाख की व्यय का बजट रह गया है। परन्तु वास्तविक रूप मे अब के लेखा जोखा नगर निगम की आय और व्यय में भारी अंतर को दर्शाता है। गत दो वर्षों में नगर निगम की आय में निरंतर गिरावट आई है और व्यय बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमानों(Revised Estimates) के अनुसार -3432. 63 लाख रुपये का अंतर(घाटा) बजट में स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। जबकि पूर्व नगर निगम के वर्ष 2017-18 के बजट में यह +2250.98(लाभ) को दर्शाता था। विकास कार्यों में भी इस बजट में भारी कटौती की गई है। वर्ष 2017-18 के बजट की तुलना में सड़कों व रास्तों के निर्माण के लिए 479.23 लाख रुपए की कमी, पार्किंग के निर्माण व रखरखाव में 1294.50 लाख रुपए, भवनों व सब्जी मंडी के कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए 735 लाख रुपये व पार्को के निर्माण के लिए 267 लाख रुपए की कमी की गई है। जिससे स्पष्ट है कि भविष्य में शिमला शहर में विकास कार्य नहीं हो पाएंगे।
सी.पी.एम. का मानना है कि बीजेपी के शासन में शिमला शहर के विकास को ग्रहण लग गया है। केंद्र, राज्य में बीजेपी की सरकार व नगर निगम में भी बीजेपी व शहर के विधायक सरकार में मंत्री होने से हमेशा प्रचार किया जा रहा है कि अब शिमला शहर के विकास में नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। परन्तु वास्तविकता ये है कि सरकार के दबाव के कारण नगर निगम की नीतियों के कारण संसाधन सीमित हो गए हैं और इनकी सम्पतियों को निजी हाथों में देने का कार्य किया जा रहा है तथा नगर निगम को उसके संवैधानिक दायित्वों से भी सरकार द्वारा वंचित किया जा रहा है। जिसका ज्वलंत उदाहरण पानी नगर निगम से छीन कर कंपनी को देना है और टाउन हॉल भी नगर निगम की सहमति से इसको व्यवसायिक गतिविधियों के लिए निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। इससे स्पष्ट होता है कि नगर निगम जनता के प्रति अपने दायित्व व सम्पतियों के निर्वहन करने में पूर्णतः विफल हो गई है।
सी.पी.एम. मांग करती है कि नगर निगम द्वारा बजट में प्रॉपर्टी टैक्स में 10 प्रतिशत की वृद्धि को तुरंत वापिस ले। पानी व कूड़े में अप्रैल से 10 प्रतिशत की वृद्धि पर रोक लगा कर जनता को इस महंगाई के दौर में राहत प्रदान करे। सरकार शिमला नगर निगम को कम से कम 100 करोड़ रुपए कैपिटल ग्रांट प्रदान करें। पूर्व निगम के समय में स्वीकृत परियोजनाओं व विकास कार्यों पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर इन्हें सुचारू रूप से चलाए तथा समय पर पूर्ण करे ताकि जनता को इसका लाभ मिल सके तथा अपनी सम्पतियों का सदुपयोग कर इन्हें जनहित के लिए इस्तेमाल करें। यदि नगर निगम जनता पर बोझ लादने वाली इन नीतियो को लागू करने के निर्णयों को वापिस नही लेती तो पार्टी जनता को लामबंद कर इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध आंदोलन करेंगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *