शिमला
बाहरा विश्वविद्यालय के फिजियोथैरपी विभाग के छः छात्रों ने सोशल मीडिया मंच के माध्यम से अपनी एक शिकायत विधायक विक्रमादित्य सिंह को भेजी है। शिकायत के मुताबिक पिछले कुछ अरसे से अध्यापक उनकी क्लास नही ले रहे हैं। इस संबंध में यह छात्र विश्वविद्यालय के वाईस चान्सलर तक अपनी शिकायत दे चुके हैं। अध्यापक इसलिये क्लास नही ले रहे हैं क्योंकि उन्हे कुछ समय से वेतन नही मिल रहा है। छात्रों का कहना है कि वह नियमित रूप से वेतन फीस विश्वविद्यालय को दे रहे हैं। दूसरी ओर अध्यापक इसलिये नही पढ़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें समय पर वेतन नही मिल रहा है। ऐसे में जब छात्रों की परीक्षा सिर पर हैं तब अध्यापक इसी तरीके से विश्वविद्यालय प्रशासन पर अपना दवाब बना सकते हैं।
बाहरा विश्वविद्यालय के छात्रों और अध्यापकों की इस समस्या ने एक बार फिर निजि शिक्षण संस्थानों को लेकर बनाये गये नियामक आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये हैं क्योंकि प्राईवेट शिक्षण संस्थानों पर निगरानी रखने के लिये यही सबसे बड़ा मंच है।
बाहरा यूनिवर्सिटी पर भी सवाल उठ रहे हैं। जिसको लेकर विद्यार्थियों ने प्रबंधन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने पिछले कई महीनों से शिक्षकों को वेतन नहीं दिया है। परिणामस्वरूप शिक्षकों ने विद्यार्थियों को पढ़ाना छोड़ दिया है। छात्र पड़ना चाहते हैं लेकिन शिक्षक पढ़ाने नही आ रहे हैं।
यूनिवर्सिटी मनमानी फीस तो छात्रों से बसूल रही है। बदले में सुविधाएं नाममात्र दे रही है। नतीज़तन छात्रों में भारी रोष है व यूनिवर्सिटी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं।
उधर विश्विद्यालय के वाइस चांसलर से बात की गई तो उनका कहना है कि एक दिन छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था और विधायक विक्रमादित्य सिंह को शिकायत की और अब मामला सेटल हो गया है उन्होंने उल्टा प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि हिमाचल सरकार हमारे स्कॉलरशिप के तीन करोड़ रुपये नही दे रही
अब सवाल ये उठ रहा है हिमाचल प्रदेश में दो निजी विश्विद्यालय फ़र्जी डिग्री की जांच में फंसे हैं अब बहारा विश्विद्यालय पर भी सवाल खड़े हो गए हैं

