वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण आज अधिकांश देशों में मानवता पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है और पूरा विश्व इस संकट के कारण सकते में आ गया है। चुनिंदा देशों को छोड़ कर इस महामारी से अधिकांश देश बुरी तरह से त्रस्त है। भारत मे भी इस महामारी का प्रकोप बढता जा रहा है जोकि अत्यंत चिंतनीय विषय है।
देश मे इस माहमारी का सामुदायिक फैलाव रोकने के लिए सरकार द्वारा सम्पूर्ण लॉकडाउन व कर्फ्यू लागू किया है जिसका देश की अधिकांश जनता पालना कर रही है। परन्तु आज लॉकडाउन व कर्फ्यू के 20 दिन बीतने के पश्चात मेहनतकश जनता विशेष रूप से दिहाड़ीदार मज़दूर, खेत मज़दूर, गरीब किसान, प्रवासी व अन्य कमजोर वर्ग बेहद प्रभावित हुए हैं। देश मे 45 करोड़ से अधिक लोग रोज दिहाड़ी कर अपनी रोजी रोटी अर्जित कर गुजर बसर करते हैं। परन्तु सम्पूर्ण लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण काम न मिलने से इनका रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। देश मे सरकार द्वारा इस महामारी से निपटने के लिए की गई घोषणाओं से भी इस वर्ग को कोई विशेष राहत नही मिली है। कुछ एक राज्यो को छोड़ कर अन्य राज्यों में इनके लिये खाने, रहने व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे यह दिहाड़ीदार मजदूर बुरे संकट के दौर से गुजरने के लिए मजबूर हैं।
उच्चतम न्यायालय ने Alakh Alok Srivastava v/s Union Of India (no.468/2020,469/2020) केस में 31 मार्च, 2020 को पारित आदेश में केंद्र सरकार को स्पष्ट आदेश दिए थे कि मजदूरों विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के खाने, रहने, दवाओं, साफ पानी, सफाई जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को सुनिश्चित करे। इसके साथ इस विषम परिस्थिति से पैदा हुए माहौल में इनकी सुरक्षा व मानसिक शान्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार, प्रशासन, पुलिस व राज्य के अन्य अभिकरण का व्यवहार इनके प्रति करुणापूर्ण रहे। केंद्र सरकार ने राज्यों को 1अप्रैल, 2020 को एक पत्र लिखा जिसमे उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए आदेशो को लागू करने के लिए कहा गया था। 12 अप्रैल, 2020 को एक स्मरण पत्र पुनः भेजा गया।
हिमाचल प्रदेश में भी लाखों की संख्या में मज़दूर, गरीब किसान व अन्य दिहाड़ी कमा कर अपना गुजर बसर करते हैं और हजारों की संख्या में प्रदेश में प्रवासी मजदूर उद्योग, निर्माण, कृषि व अन्य वाणिज्यिक जैसे बाजारों आदि में बोझा ढोने का कार्य करते हैं। लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण आज इनका रोजी रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। उच्चतम न्यायालय व केंद्र सरकार के स्पष्ट आदेशों के बावजूद प्रदेश सरकार ने इन दिहाड़ीदार मजदूरों, प्रवासी व अन्य जरूरतमंद व गरीब कमजोर वर्ग के लिए कोई भी राहत कार्य आरम्भ नहीं किया है। न तो राज्य सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय व केंद्र सरकार के आदेशानुसार इनके लिए भोजन, रहने, दवाओं, साफ पानी, सफाई आदि का इंतजाम किया गया है और न ही किसी रूप में इनको कोई भी राहत दी गई है। प्रदेश में देखने को मिला है कि केवल गिने चुने जिलों में कुछ संस्थाओं व लोगो द्वारा इनको कुछ राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है जोकि नाकाफी है और इसमे भी प्रशासन बेवजह हस्तक्षेप कर बाधा उत्पन्न कर रहा है। इस हालत में यह मेहनतकश वर्ग अत्यंत प्रभावित है और इन्हें सरकार से राहत व सहायता की दरकार है। देखने को मिला है कि ऐसे हालात में अब इस वर्ग में असुरक्षा व भय का वातावरण पैदा हो रहा है। हमीरपुर के साथ लगते नाल्टी व मंडी जिला के बरोट में मजदूरों पर किये गए हमलों की भयावह घटनाओं से आज इनमें डर का माहौल और अधिक बढ़ गया है और सरकार की लचर व्यवस्था को भी दर्शाता है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) सरकार से बार बार मांग कर है कि इस महामारी से उत्पन्न हुई विषम परिस्थिति से प्रदेश में राहत प्रदान करने हेतू एक व्यापक राहत पैकेज को8 तुरन्त लागू करे तथा इसमें मुख्यतः प्रदेश में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। प्रत्येक ए पी एल व बी पी एल परिवार को तीन माह का मुफ्त राशन उपलब्ध करवाया जाए। प्रवासी व अन्य मजदूरों का उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार इनके रहने व खाने का सरकार उचित प्रबन्ध करे तथा जिनके पास राशन कार्ड नही है उन्हें सरकार सूचीबद्ध कर प्रशासन द्वारा कम से कम एक माह का राशन मुफ्त उनको उनके घर पर ही पहुंचाए जिससे इनको राहत भी मिले व लॉकडाउन व कर्फ्यू की भी सही रूप में पालना हो। इनके खातों में सरकार कम से कम 5000 रुपये डाले। आज प्रदेश में विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों व विशेष समुदाय के प्रति घृणा का माहौल पैदा करके इनके ऊपर हमले बढ़ रहे हैं इस प्रकार के हमलों पर रोक लगाने के लिए सरकार तुरन्त ठोस कदम उठाए तथा दोषियों के विरुद्ध तुरन्त कानूनी कार्यवाही करें। साथ ही साथ प्रदेश सरकार इनकी सुरक्षा का पुख्ता प्रावधान करें। इस प्रकार की डर का माहौल पैदा करने वाली घटनाओं व आर्थिक विषमताओं के कारण पैदा हुए रोजी रोटी के संकट से इन प्रवासी मजदूरों में भय व असुरक्षा का वातावरण पैदा हो रहा है और इनमें ऐसे माहौल से निकल कर अपने घर जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। इन विकट परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी का मानना भी है कि इन विषम मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए यदि सरकार जो अप्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं उन्हें संबंधित राज्य सरकारो से बात कर सुरक्षित घर पहुंचाने के लिये प्रबंध करें तो इनको राहत प्रदान की जा सकती है। सी.पी.एम सरकार से आग्रह करती है कि लॉकडाउन आगे बढ़ने की स्थिति में इनकी इस मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर इनको राहत प्रदान की जाए ।
