हिमाचल प्रदेश में अब केंद्र सरकार की ओर से विकास कार्यों के लिए जारी राशि में मध्यस्थता खत्म हो जाएगी। अप्रैल से लाभार्थियों और पंचायतों में विकास कार्यों की पेमेंट सीधी आएगी।
हालांकि पूर्व में मनरेगा की पेमेंट भी सीधे लाभार्थी के खाते में ही आती है, लेकिन अब वित्तायोग और एसबीएम आदि योजनाओं सहित अन्य योजनाओं की राशि बिना राज्य सरकार, जिला पंचायती राज कार्यालय या ब्लॉक खंड अधिकारी कार्यालय के हस्तक्षेप से पंचायतों व लाभार्थियों को मिलेगी।
इसके लिए विभाग पंचायत प्रधानों और सचिवों को डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) देगा। इसके लिए पंचायत प्रतिनिधियों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। इस डीएससी में सचिवों व प्रधानों के हस्ताक्षर और मुहर के नमूने पहले ही होंगे।
जिला पंचायत अधिकारी हरवंश सिंह ने बताया कि पेमेंट पंचायत ने किसी लाभार्थी को करनी है तो सचिव संबंधित बिल को पीएसएफएम सॉफ्टवेयर में अपलोड करेगा। इसके बाद राशि ऑनलाइन कैश बुक में आ जाएगी। यह पेमेंट अप्रूवल के लिए प्रधान के पास जाएगी।
प्रधान अपने डीएससी से इसे ओके करेगा और फिर यह लाभार्थी के खाते में सीधे केंद्र से आ जाएगी। पंचायत सचिवों व प्रधानों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। अगर पंचायत सचिव ट्रांसफर होता है तो उसका डीएससी भी उसके साथ जाएगा। प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने पर उनका डीएससी स्वयं समाप्त हो जाएगा।