प्रदेश से बाहरी प्रदेशों में होने वाले इमारती लकड़ी और ईंधन की लकड़ी की चोरी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने आम और पांच अन्य प्रजातियों के पेड़ों के काटने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि हिमाचल प्रदेश में आम के पेड़ों के साथ-साथ त्रियांबल (फिकस प्रजाति), तुनी (तूना सिलियाटा), पदम या पाजा (प्रूनस सेरासस), रीठा (सैपिंडस मुकोरोसी) और बान (क्वेरकस ल्यूकोट्राइकोफोरा) के पेड़ों को काटने पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन छह प्रजातियों को वन विभाग के 10-वर्षीय कटाई कार्यक्रम के तहत लाया गया है। उन्होंने कहा कि अब इन पेड़ों को केवल वन विभाग की अनुमति के साथ ही काटा जा सकता है। हालांकि, नए नियम के तहत घरेलू कार्यों के लिए एक वर्ष में अधिकतम पांच पेड़ों को काटने की अनुमति रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बाहर किसी भी प्रजाति की इमारती लकड़ी और ईंधन की लकड़ी को ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, जिसका उद्देश्य हिमाचल प्रदेश से लकड़ी की तस्करी पर अंकुश लगाना और राज्य के मूल्यवान संसाधनों को बचाना है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से वनों के अवैध कटान की रोकथाम होगी और राज्य की जैव विविधता को बचाने में भी मदद मिलेगी। वन विभाग ने 13 पेड़ प्रजातियों की एक संशोधित सूची अधिसूचित कर दी है जिन्हें वन परिक्षेत्राधिकारी को सूचित कर काटा जा सकता है। जबकि बाकी अन्य सभी प्रजातियों के पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य होगी। इस कदम से न केवल स्वदेशी प्रजातियों का संरक्षण होगा, बल्कि वन्य जीव संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
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