हाटी समुदाय हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरिपार में निवास करता है, अपने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और अद्वितीय परंपराओं के लिए जाना जाता है। वर्षों से यह समुदाय अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। अपने जनजातीय अधिकार को प्राप्त करने के लिए अभी भी आंदोलनरत हैं।
देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले वर्ष 4 अगस्त 2023 को हाटी समुदाय से संबंधित दूसरा अनुसूचित जनजाति विधेयक संसद से पारित करवा कर लाखों हाटी समुदाय के लोगों को जनजाति दर्जा दे दिया था। इसके बाद 1 जनवरी 2024 को राज्य सरकार ने केंद्रीय कानून को क्रियान्वित कर दिया था। लेकिन, कुछ लोगों ने इस विधेयक के खिलाफ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी और माननीय उच्च न्यायालय ने कानून पर अंतरिम लगाई है। अब इस पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर 2024 को होनी है।
हाटी विकास मंच हिमाचल प्रदेश(पंजीकृत) के प्रान्त अध्यक्ष प्रदीप सिंह सिंगटा ने शिमला में हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद कहा कि हम लाखों हाटी समुदाय के लोगों के लिए न्यायिक संघर्ष कर रहे है और माननीय उच्च न्यायालय में पार्टी बन कर अपने वरिष्ठ वकीलों के माध्यम हाटी हितों की पैरवी कर रहे है। उन्होंने कहा कि हाटी विकास मंच ने इससे पूर्व राज्य और केंद्र सरकार की कार्यपालिका और विधायिका से मुद्दे को हल करवाने के लिए संघर्ष किया था। एक दस्तावेज हर संवैधानिक संस्थान से तैयार करवाया था। अब न्यायपालिका में भी हाटी विकास मंच लाखों लोगों को जनजातीय अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
वहीं, मंच के संगठन महासिचव मोहन शर्मा और कोषाध्यक्ष एडवोकेट वीएन भारद्वाज ने संयुक्त बयान में कहा कि हाटी विकास मंच ने अपनी मांगों को कार्यपालिका तक पहुंचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के साथ लगातार संवाद स्थापित किया है। मंच ने तथ्यात्मक रिपोर्ट और अध्ययन प्रस्तुत किए, जिनमें हाटी समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक, भौगोलिक आदि स्थिति का वर्णन किया गया। मंच ने विधायकों, सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों को इस मुद्दे की गंभीरता समझाई है। इसके परिणामस्वरूप विधायिका ने इस विषय को गंभीरता से लिया और केंद्रीय स्तर पर इस दिशा में आवश्यक संशोधन और प्रस्ताव पास किए गए।
हाटी विकास मंच के महासचिव डॉक्टर अनिल भारद्वाज और शिमला इकाई मंच के अध्यक्ष सतपाल चौहान ने संयुक्त बयान में कहा कि हाटी विकास मंच ने अपने संघर्ष को मजबूत बनाने के लिए समुदाय के भीतर गांव गांव जाकर व्यापक जनजागृति अभियान चलाए थे। रैलियां, जनसभाएं, और सेमिनार आयोजित कर लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया था।
हाटी विकास मंच हिमाचल प्रदेश के मुख्य कानूनी सलाहकार एडवोकेट श्याम सिंह चौहान ने बताया कि हाल के घटनाक्रमों में, हाटी समुदाय को जनजातीय अधिकार देने के संबंध में उठाए गए कदम कानूनी चुनौतियों में उलझ गए हैं। अब यह मामला उच्च न्यायालय न्यायालय में है। हाटी विकास मंच ने उच्च न्यायालय में मजबूती से अपनी बात रखने के लिए सर्वोत्तम कानूनी विशेषज्ञों की सहायता ली है। मंच को विश्वास है कि न्यायपालिका में प्रस्तुत किए गए ऐतिहासिक और संवैधानिक तर्कों के आधार पर हाटी समुदाय को उनका हक मिलेगा। यह लड़ाई केवल कानूनी अधिकारों की नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व, सम्मान और सांस्कृतिक पहचान को बचाने की है। मंच ने न्यायालय में मजबूती से यह मामला प्रस्तुत किया है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक परिणाम आएंगे। हाटी विका मंच अपनी कानूनी लड़ाई के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि हाटी समुदाय को एसटी दर्जा मिले और उनका समग्र विकास हो। यह लड़ाई सिर्फ एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि न्याय, समानता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है।
इस बैठक में प्रदीप सिंह सिंगटा, मोहन शर्मा, एडवोकेट वी. एन भारद्वाज , एडवोकेट श्याम सिंह चौहान, अत्तर सिंह तोमर, विवेक तोमर, बलदेव समयाल,जिला शिमला के अध्यक्ष सतपाल चौहान, मंच के मुख्य सलाहकार कमल शर्मा, डॉ अनिल भारद्वाज, केडी ठाकुर, नितेश, विजय कुमार ,अर्जुन सिंह, एडवोकेट रोहन तोमर आदि उपस्थित रहे।