हिमाचल में पॉवर प्रोजैक्टों के ऊपर वाटर सैस लगाने पर पंजाब-हरियाणा व हिमाचल पहले ही आमने सामने
वी डी शर्मा शिमला
शिमला — जोगिंद्रनगर में हिमाचल की जमीपर बने शानन पॉवर प्रोजेक्ट 110 मेगावाट को पंजाब से वापस लेने के लिए पंजाब सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
राज्य सरकार इस पर अपनी मंशासाफ कर चुकी है मुख्यमंत्री सुखबिंदर सिंह सुक्खू ने आज बजट सत्र के दौरान सदन में अपने वक्तव्य देते हुए कहा कि 2024 में शांनन पावर प्रोजेक्ट की 100 साल की लीज पूरी हो रही है इस संदर्भ में हिमाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी पंजाब सरकार के चीफ सेक्रेटरी से बात करेगे और हमारे अधिकारी व इंजीनियरिंग इस प्रोजेक्ट को टेकओवर करेंगे उन्होंने कहा कि हमारी जमीन पर है और इसमें हमारा हक दबाया जा रहा है
गौरतलब हैं कि 100 साल की लीज पर पंजाब पुनर्गठन केसमय यह बिजली घर पंजाब बिजली बोर्ड कदिया गया था और अब लीज समाप्त होने जारही है। 100 साल हो रहे हैं, जिसके बाद अबहिमाचल चाहता है कि उसे उसका हक दे दिया जाए। इसमें केंद्र का हस्तक्षेप जरूरी है, क्योंकि ऐसे पंजाब इतनी आसानी से हिमाचल को उसकानहीं देने वाला। सरकार भी चाहती है किशानन बिजली घर उसे वापस मिले। हिमाचल मेंलगे इस बिजली घर में उत्पन्न होने वाली बिजली पंजाब लेता है। यह 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है,
जिसके साथ बस्सी परियोजना तब हिमाचलको मिली थी। मंडी के राजा के साथ शाननबिजली घर को लेकर एग्रीमेंट हुआ था जो कि100 साल के लिए था। शानन बिजली घर का निर्माण कर्नल बैटी ने करवाया था, जिन्होंने इससे पहले चाबा पावर हाउस का निर्माण किया था। चाबाप्रोजेक्ट को बने 100 साल हो चुके हैं और अब उसकेबाद शानन बिजली घर भी 100 साल का होनेजा रहा है।
बहरहाल हिमाचल प्रदेश में पॉवर प्रोजैक्टों के ऊपर वाटर सैस लगाने पर पंजाब व हरियाणा सरकार ने आपत्ति जताई है। पंजाब विधानसभा में तो इस बारे बाकायदा प्रस्ताव पारित करके इसको वापस लेने की मांग की गई है। सूत्रों के अनुसार पंजाब ने इसको इंटर स्टेट वाटर डिसप्यूट एक्ट, 1956 का उल्लंघन बताया है। ऐसा माना जा रहा है कि पंजाब व हरियाणा की तरफ से यह आपत्ति भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) से जुड़े विवाद के चलते जताई है। हिमाचल प्रदेश की सत्ता में समय-समय पर रही सरकारें राज्य की हिस्सेदारी सरकार उत्तर क्षेत्रीय परिषद एवं केंद्र सरकार के स्तर पर होने वाली अन्य बैठकों में उठाती रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार बी.बी.एम.बी. की तरफ से परिचालित विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी तय की गई है। यह हिस्सेदारी 1 नवम्बर, 2011 से प्रदेश को मिलना शुरू हो गई है, लेकिन इसके बावजूद इसमें हिमाचल के कुल हिस्से की 1497.39 साधारण ब्याज) तथा 1525.62 करोड़ रुपए (चक्रवृद्धि ब्याज) आंकी गई है। वर्तमान समय तक यह राशि चक्रवृद्धि ब्याज सहित करीब 4,249.45 करोड़ रुपए बनती है। बी.बी.एम.बी. के अलावा शानन पॉवर प्रोजैक्ट का स्वामित्व हिमाचल सरकार को सौंपने जैसे कई विषय है। जिस पर अब हिमाचल प्रदेश की नई सुक्खू सरकार एक्शन मोड़ पर है